Ek Bakri Ki chalak bachche aur Murkh Lomdi! एक बकरी की चालक बच्चा और मूर्ख लोमड़ी !

 Ek Bakri Ki chalak bachche aur Murkh Lomdi! एक बकरी की चालक बच्चा और मूर्ख लोमड़ी ! 

इस कहानी में हमने बताया है की चालाकी से किसी भी समस्या का हाल किया जा सकता है , कैसे एक छोटा सा बकरी का बच्चा एक चालक लोमड़ी का सामना करता है । 




एक बकरी की चालक बच्चा और मूर्ख लोमड़ी

क गाँव में एक किशान रहता था , उसके पास बहुत सारी बकरीया था जिनसे ओ अपना जीवन आपण करता था , उन बकरियों मे-से एक एसा भी बकरी थी जो तीन चार साल से एक भी बच्चा नहीं दिया था , उस बकरी से ओ किशान  काफी परेशान हो गया था । 
एक दिन किशान के मन मे एक विचार आया क्यों ना उस बकरी को जंगल में छोड़ दे ये शोचकर उस बकरी को बहुत घने जंगल मे छोड़ कर आ जाता है । 

अब बकरी जंगल में अकेले रहने लगती है, तब उसे जंगल में एक लोमड़ी से भेट होता है , तो लोमड़ी बोलता है की मेरा एक गुफा है जिसमे कोई नहीं रहता , उसमे तुम जा के रह सकती हो , बकरी भी उसी गुफा मे जा कर रहने लगती है , कुछ दिन बीत जाने के बाद बकरी सात बच्चे को जन्म देती है । और बच्चों का नाम रख देती है, सोमरा, मंगरा, बुधना, शुक्रा, पेटला, गोडला, और सबसे छोटा वाला का नाम रहता है मिलमिलिवा । 

एक दिन वह लोमड़ी एक दिन बकरी से मिलने आता है , तब देखता है की बकरी के सात बच्चे है,

 तब उसी समय लोमड़ी के मन मे उन बच्चों को खाने का मन बना लेता है । 

तब एक दिन लोमड़ी बोलत है, की में गुफा मे काफी अकेला हो जाता हूँ ,तो अपने बच्चों को मेरे पास रहने के लिए भेज देती तो मेरा भी मन लगता मैं इन बच्चों को अच्छा अच्छा खाना खिलता, बकरी बोलती है देखते है बोलकर कोई जाएगा तो भेज दूँगी । 

बकरी सभी बच्चों को एक - एक  कर के सभी को पूछती है कोई भी जाने के लिए तैयार नहीं होता है । 

तब छोटा बच्चा तैयार हो जाता है । और  मिलमिलिवा उस शेतान लोमड़ी के घर चला जाता है , 

तब लोमड़ी बहुत खुस हो जाता है , उस बच्चे को अच्छा - अच्छा खाना खिलती है । जब सोने का टाइम होता तब लोमड़ी  मिलमिलिवाक  को अपने मुह के पास सोने बोलत है, तब  मिलमिलिवा समझ जाता है की ओ खाने वाला है , 

लोमड़ी सोचता है की जैसे ही नींद खुलेगा वेसे ही इसे गप से कहा जाऊँगी लोमड़ी उसे अपने मुह के पास सोला लेता है, और सो जाता है 

अब  मिलमिलिवा समझ जाता है की उसे आज खा जाएगा ओ सोने का नाटक करता है और चुपके से उठ कर एक पथर उस लोमड़ी के मुह के पास रख देता है , 

जैसे ही लोमड़ी उठता है उस पथर को गप से मुह चबाने लगता है , उस लोमड़ी का सारे दांत टूट जाते है ।   ओ बकरी का बच्चा रात मे ही अपना घर चला जाता है । 

लोमड़ी आज के बाद बकरी के घर की तरफ नजर उठा के देखने का हिमत भी नहीं करता । 

यह कहानी यह सिखाती है कि—

“बुद्धि और चालाकी से बड़ी से बड़ी मुसीबत से भी बचा जा सकता है।”





   

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मैं आज की ब्रेकिंग न्यूज का Founder हूँ। मेरा काम ताजा न्यूज का अपडेट देना है। पिछले 3 सालों से कंटेन्ट लेखन के क्षेत्र में कार्यरत हूँ ,और न्यूज, सरकारी योजना, सरकारी जॉब, भागवत गीता, बॉक्स ऑफिस, अप्कमींग मूवीज और क्रिकेट जैसे विषयों में, मेरा अच्छा समझ है, बल्कि इसे सरल और दिलचस्प तरीके से पेश करने का प्रयास करता हूँ, ताकि पाठकों को पढ़ने मे आनंद आए । मेरे आर्टिकल को पढ़ने के धनवाद ।

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